राहतें ढूंढ रहा था था गैरो में
मुझे आने में देर हुई, माफ़ करना
अपनों के तोड़े कांच थे पैरों में
हमारा हक तो नही है फिर भी ये तुमसे कहते है
हमारी जिंदगी ले लो मगर उदास मत रहा करो
उलझते रहने में कुछ भी नहीं थकन के सिवा
बहुत हक़ीर हैं हम तुम बड़ी है ये दुनिया