सूरत उसकी प्यारी लगती है कद्र जिसकी दिलसे होती है
इन्सान सिर्फ एक ही बात से अकेला पड़ जाता है
जब उसके अपने ही उसे गलत समझने लगे
मैंने तो सिर्फ मोहब्बत की थी
वो भी करलेते तो शायद इश्क कहलाता
तुम मेरी पहली मोहब्बत हो मगर मैंने तुम्हे चाहा है आखरी मोहब्बत की तरह
किसी ने मुझसे पूछा की तुम उसे पाने के लिए किस हद तक जा सकते हो मैंने मुश्कुरा कर कह दिया हद पार करनी होती तो उसे कबका पा लिया होता