हम लोगों के पास इतना भी वक़त नहीं रहा
की रोजी देने वाले को सजदा कर ले..!
अपनी अंधेरी कब्र को खुद ही
रोशन करने की तैयारी कर ए इंसान
आज जिंदों से कोई वफ़ा नही करता,
कल मुर्दो के लिये कौन दुआ करेगा
रूला ले ए जिंदगी तेरी जितनी औकात हैं,
हम भी उस नबी के उम्मती है
जिसके कब्जे में पुरी कायनात हैं।
तौबा करते रहा करो ज़िन्दगी में हर पल
क्योंकि मौत कभी बताकर नही आती,
ओर मौका ज़िन्दगी देती है मौत नही !
ऐ मेरे रब
जो जिंदगी गुजर गई
उस पर तेरा शुक्र अदा करते हैं
जो जिंदगी बाकी रह गई
उस पर तेरी रहमत के तलबगार हैं!
ऐ मेरे रब हम सब पर
अपनी रहमत के दरवाजे खोल दे !!
आमीन
मुश्किल वक़्त में हमेशा दुआ करो
क्योंकि जहाँ इंसान का हौसला खत्म हो जाता है
वहाँ से अल्लाह की रहमत शुरू होती है ...
मोहम्मद (स.अ.व) ने फ़रमाया
अपनी बीवी को खुश रखो क्यू की
कयामत में सबसे पहले आपके हक में गवाही वो देगी..!!
बीवी का रूठ जाना सुन्नते आयेशा है.!
बीवी को मना लेना सुन्नते रसूल (स.अ.व) है!
बीवी के कामो मैं मदद करना
मुरीदी (गुलामी) नही बल्कि सुन्नत रसूलुल्लाह है!