मैं यादों का पिटारा खोलू तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
मैं गांव की गलियों से गुजरू पेड़ की छांव में बैठू तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
वो हंसते मुस्कुराते दोस्त ना जाने किस शहर में गुम हो गए, कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
from : Hindi Poems