क्या क्या करना रह गया बाकी,
बस इतना बता दे,
बहुत भटक लिए गुमनामी में
ए ज़िंदगी तेरे लिए।
जाना कहाँ है सपनों की खातिर,
बस वो राह दिखा दे,
दर दर झुकाया सिर गैरों के आगे,
ए ज़िन्दगी तेरे लिए।
हिम्मत अब भी है अंदर,
बस थोड़ी सी और बढ़ा दे,
बिना रुके निरंतर चलता रहा,
ए ज़िन्दगी तेरे लिए।
मिल जाये थोड़ी सी ख़ुशी,
बस उम्मीदों के डीप जला दे,
काटे हैं दिन रात आफत गर्दिश में,
ए ज़िन्दगी तेरे लिए।
सोचता हूँ कुछ लिखूं तेरे लिए,
फिर रुक जाता हूँ ये सोचकर,
की तुम अकेले में,
मुझे कैसे याद करती होगी?
तब बस,
मैं केवल महसूस करत हूँ ,
अकेले-अकेले,
और मुस्कुराता हूँ,
बिलकुल तुम्हारे तरह।
जैसे तुम,
मुस्कुराती होगी,
अकेले में,
मुझे सोचकर।
Nikhat Amrohi Hindi Gazal Teri Chahat Se.
तेरी चाहत से इंकार नहीं कर सकती ,
फिर भी जो हद है वो पार नहीं कर सकती।
मेरी खामोश निगाहों के इशारे समझो,
वरना होंठों से मैं इज़हार नहीं कर सकती।
दफन कर सकती हूँ खुद अपनी मोहब्बत को मगर,
घर की इज़्ज़त पे कोई वॉर नहीं कर सकती।
रिश्तेदारों से झगड़ना मेरी फितरत में नहीं,
घर की अंगनाई में दीवार नहीं बन सकती।
कैसे में छोड़ दू माँ बाप की खिदमत करना ,
अपनी जन्नत को मैं बेकार नहीं कर सकती।
Gajal Hindi At Poetry Tadka.