क्या क्या करना रह गया बाकी,
बस इतना बता दे,
बहुत भटक लिए गुमनामी में
ए ज़िंदगी तेरे लिए।
जाना कहाँ है सपनों की खातिर,
बस वो राह दिखा दे,
दर दर झुकाया सिर गैरों के आगे,
ए ज़िन्दगी तेरे लिए।
हिम्मत अब भी है अंदर,
बस थोड़ी सी और बढ़ा दे,
बिना रुके निरंतर चलता रहा,
ए ज़िन्दगी तेरे लिए।
मिल जाये थोड़ी सी ख़ुशी,
बस उम्मीदों के डीप जला दे,
काटे हैं दिन रात आफत गर्दिश में,
ए ज़िन्दगी तेरे लिए।