हादसोँ के गवाह हम भी हैँ,
अपने दिल से तबाह हम भी हैँ,
जुर्म के बिना सजा ए मौत मिली,
ऐसे ही एक बेगुनाह हम भी हैँ
मेरे अल्फाज़ भी नाराज़ है मुझसे
मैं वो लिख नहीं पा रहा हूँ, जो महसूस कर रहा हूँ,
जिस किसीको भी चाहो वोह बेवफा हो जाता है
सर अगर झुकाव तो सनम खुदा हो जाता है
जब तक काम आते रहो हमसफ़र कहलाते रहो
काम निकल जाने पर हमसफ़र कोई दूसरा हो जाता है.
तज़ुर्बा है मेरा मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है
संगमरमर पर तो हमने पाँव फिसलते देखे हैं