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Desh Bhakti Shayari

mar kar wo log amar ho jaate hai

खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं,

मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं,

करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों,

तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है

mar kar wo log amar ho jaate hai

hmare dil me hai

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

hmare dil me hai

sare jahan se acha

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा

हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा

sare jahan se acha

watan ki ulfat

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त

मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी

watan ki ulfat

Chale Aao

चले आओ मेरे परिंदों लौट कर अपने आसमान में,

देश की मिटटी से खेलो, दूर-दराज़ में क्या रक्खा है

Chale Aao

mere chat pe ek tiranga rehne do

खूब बहती है, अमन की गंगा बहने दो…

मत फैलाओ देश में दंगा रहने दो…

लाल हरे रंग में ना बाटो हमको…

मेरे छत पर एक तिरंगा रहने दो

mere chat pe ek tiranga rehne do