पूछ रहे हैं वो मेरा हाल, जी भर रुलाने के बाद!
के बहारें आयीं भी तो कब? दरख़्त जल जाने के बाद!
दिल से अपनाया न उसने..ग़ैर भी समझा नहीं..
ये भी एक रिश्ता है..जिसमें कोई भी रिश्ता नहीं.
आजकल नाराज़ है जरा मेरा मन मुझसे
वरना ज़माने से गिला तो ना कल था ना अब है
लगता है मेरी नींद का किसी के साथ चक्कर चल रहा है,
सारी सारी रात गायब रहती है