फितूर होता है हर उम्र में जुदा जुदा,
खिलौने, माशूका, रुतबा और फिर खुदा।
शीशा और पत्थर संग संग रहे तो बात नही घबराने की,
शर्त इतनी है कि बस दोनों ज़िद ना करे टकराने की।
किसे मालूम था वो वक़्त भी आ जाएगा इक दिन
कि खुद ही बाग़वां अंगार रख देंगे बहारों म
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