परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है
ज़मीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है
मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफाज़त कर
संभल के चल तुझे सारा जहान देखता है
from : Dil Ki Baat Shayari