उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है !जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है !दिल टूटकर बिखरता है इस कदर !जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है !!
from : Nazar Shayari