अपने दिल से लालच निकल दो.
शेरो शायरी कोई खेल नहीं जनाब
जल जाती है जवनियाँ लफ्जो की आग में
हिज्र की पहली फजर का हाल मत पूछिए साहब
मैं खुदा के सामने और दिल मेरे सामने रोता है
छोड़ कर हाथ नरमी ये कहती है सब के सामने
अभिक तक गैर मरहूम तुम्हारी कुछ नहीं लगती