रास ना आया मुझको यह दुनिया का मेला
चले ये दुनिया साथ मेरे फिर भी दिल तन्हा अकेला
पूछें दुनिया मुझसे खुद को कहां मैंने भूला
बोला हंस कर मैंने उनसे यहॉ रिश्तों का है बहुत झमेला
तिल तिल कर मैंने बेमतलब से रिश्तो को झेला
फिर एकदिन खुलकर मैंने खुद से डटकर ये बोला
चलो चले दूर कही जहां न हो इतना मेला
बस एक दो सच्चे साथी हो दिल न करें महसूस अकेला
© pallavi gupta
from : Akelapan Shayari