Tehzeeb Hafi Shayari
Tehzeeb Hafi Poetry In Urdu
یوں نہیں ہے کہ فقط میں ہی اُسے چاہتا ہوں جو بھی اُس پیڑ کی چھاؤں میں گیا بیٹھ گیا यूं नहीं है की फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँ जो भी उस पेड़ की छाव में गया बैठ गया

Hafi Shayari
ये एक बात समझने में रात हो गयी है मै उससे जीत गया हूँ या मात हो गयी है

Dil Bhi Kaisa Darkht Hai Hafi
दिल भी कैसा दरख्त है हाफी जो तेरी याद से हरा हो जाये

Tehzeeb Hafi Shayari In English
कैसे उसने ये सब कुछ मुझसे छूपकर बदला चेहरा बदला रस्ता बदला बाद में घर बदला मैं उसके बारे में कहता था लोगों से मेरा नाम बदल देना वो सख्स अगर बदला

Tehzeeb Hafi Poetry
फ़रेब देके तेरा जिस्म जीत लूँ लेकिन मैं पेड़ काटके कस्ती नहीं बनाऊंगा
