कोशिश बहुत की कि राज-ऐ-मोहब्बत बयाँ ना हो
मुमकिन कहाँ था कि आग लगे और धुंआ ना हो
रूह से रूहानी होने तक
हरफ़ से कहानी होने तक
साथ रहूंगी मैं हमदम तेरे
खाक़ आसमानी होने तक
तड़प रही हैं साँसें तुझे महसूस करने को
फिज़ा में खुशबू बनकर बिखर जाओ तो कुछ बात बने
आँखो की जुबान वो समझ नहिं पाते
होंठ है मगर कुछ केह नही पाते
अपनी बेबसी कीसे बताए यारों
कोई है जिनके बीना हम रेह नही पाते.