Sharabi Shayari
Sharab Koun Pita Hai
मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है बोला साहब लहू का दौर है शराब कौन पीता है।

Pee Kar Bhi Tera Naam Lete Rahe
तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी एक हम हैं कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे

Maikhane Se Kahdo Darwaza Khula Rakhe
फिर इश्क़ का जूनून चढ़ रहा है सिर पे मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे

Sharab Ki Shayari
एक शराब की बोतल दबोच रखी है तुजे भुलाने की तरकीब सोच रखी है

Aik Botal Sharab Ke Liye
एक बोतल शराब के लिए कतार में ज़िन्दगी ले कर खड़ा हो गया मौत का डर तो वहम था आज नशा ज़िन्दगी से बड़ा हो गया।
