ऐसी ही गुजार ली जिन्दगी मैं ने,
कभी खुदा की रजा समझ कर,
कभी अपने गुनाहें की, सजा समझ कर
बारिश में नहाना आसान तो है
लेकिन रोज नहाने के लिए हम
बारिश के सहारे नहीं रह सकते;
इसी प्रकार भाग्य से कभी-कभी
चीजे आसानी से मिल जाती है;
किन्तु हमेशा भाग्य के
भरोसे नहीं जी सकते
मन का झुकना भी जरूरी है सिर्फ सर झुकने से खुदा नहीं मिलता
भरोसा बहुत बड़ी पूंजी है यु ही बाटी नहीं जाती
खुद पर रखो तो ताकत दुसरे पे रखो तो कमजोरी बन जाती है