ज़िन्दगी वो थी जो हम उनकी महफ़िल में गुजार आए
मोहब्बत और मौत दोनों बिन बुलाए मेहमान होते है कब आजाए कोई नहीं जानता लेकिन दोनों का एक ही काम है एक को दिल चाहिए दुसरी को धड़कन !!
मौत से किसकी रिश्तेदारी है आज मेरी तो कल तेरी बरी है
ना जाने मेरी मौत कैसी होगी पर ये तो तय है तेरी बेवफाई से बेहतर होगी