Poetry Tadka

Jigri Yaar Shayari

Jigri Yaar Shayari

Tumse Na Milne Ki

तुझसे ना मिलने की कसम खाकर भी

हर राह में तुझे ही ढूँढा है मैंने

Tu Rahe Bekhabar

तू रहना बेखबर मेरे एहसासों से 

फिर भी सारी उम्र शिद्दत से चाहेंगे तुझे

Tanhai Ki Aag Me

तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ, 

के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचाले

tanhai ki aag me

Tujhe Mnate Huae

घुटन सी होने लगी है इश्क जताते हुए 

मैं खुद से रूठ सा गया हु तुझे मनाते हुए