उतने ही कोमल होते हैं पिता अपनी बेटियों के लिए...माँओं को फ़िक्र रहती है, कि पराए घर में सबकुछ कैसे संभालेगी... पिताओं को यकीं होता है, कि "मेरी बेटी है, सब संभाल लेगी"