Chahat Shayari
Bade Mazroor The
बड़े मगरूर थे गुनाह करते रहे !
सीसे के टुकड़े टुकड़े करते रहे !
ज़मी पर पैर रखने का शौक नहीं !
फिर भी गरीबो को पैरों कुचलते रहे !!
सीसे के टुकड़े टुकड़े करते रहे !
ज़मी पर पैर रखने का शौक नहीं !
फिर भी गरीबो को पैरों कुचलते रहे !!
Teri Bazm Se Mgar
उठ कर तो आ गये है, तेरी बज्म से मगर !
कुछ दिल ही जानता है के किस दिल से आये है !!
कुछ दिल ही जानता है के किस दिल से आये है !!