शाम होते ही चिरागों को बुझा देता हूँ,
दिल ही काफ़ी है तेरी यादों में जलने के लिए.
रात भर जागते हैं हम कुछ ऐसे लोगों की खातिर,
जिन्हे कभी दिन के उजालों में भी हमारी याद नहीं आती.
कैसे हो? क्या हाल है? मत पूछो,
मुझसे मुश्किल सवाल मत पूछो.
from : Sad Shayari