Poetry Tadka

Madhushala Poem in Hindi

जिन अधरों को छुए, 
बना दे मस्त उन्हें मेरी हाला; 
जिस कर को छू दे, 
कर दे विक्षिप्त उसे मेरा प्याला; 
आँख चार हों जिसकी मेरे 
साकी से, दीवाना हो; 
पागल बनकर नाचे वह 
जो आए मेरी मधुशाला । 

हर जिह्वा पर देखी जाएगी 
मेरी मादक हाला; 
हर कर में देखा जाएगा 
मेरे साकी का प्याला; 
हर घर में चर्चा अब होगी 
मेरे मधुविक्रेता की; 
हर आँगन में गमक उठेगी 
मेरी सुरभित मधुशाला । 

मेरी हाला में सबने 
पाई अपनी-अपनी हाला, 
मेरे प्याले में सबने 
पाया अपना-अपना प्याला, 
मेरे साकी में सबने 
अपना प्यारा साकी देखा;
जिसकी जैसी रुचि थी 
उसने वैसी देखी मधुशाला ।