तुम न चाहो तो अलग बात हैं-हमने तुम से मुहब्बत की हैं
तुम न मानो तो अलग बात हैं-हमने तुम्हारी इबादत की हैं
ये फ़साना तेरा मेरा था मगर-जुदा होने की तुमने आरजू की हैं
सांस दर सांस घुलते रहना-हमने खुद से बगावत की हैं
तेरी आँखों में खुद को ढूँढा-अजब आज ये ज़ुर्रत की हैं
दर्द रख आये वक़्त की चौखट पर-हमने भी क्या हिमाकत की हैं
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