मोहब्बत भी तेरी थी, वो नफ़रत भी तेरी थी !
वो अपनाने और ठुकरने की अदा भी तेरी थी !
मैं अपनी वफ़ा का इंसाफ किस से मांगता !
वो शहर भी तेरा था और वो अदालत भी तेरी थी !!
from : Pyar Bhari Shayari