में तेरे शहर में आया हू , खुद की महफ़िल सजाने आया हू
तेरे इश्क की इस आंधी में ,खुद को फिर मिटाने आया हू .
में भी तेरा दीवाना हू ,बस यही बात बताने आया हू
तेरे इश्क की मासूमियत में ,खुद को फिर लुटाने आया हू .
मैं भी कितना बांवरा हू ,यह तुझे जताने आया हू
तेरे इश्क के शहर में ,खुद की प्यास बुझाने आया हू .
तुम मेरी हो – तुम मेरी हो ,बस यही तुम्हें कहने आया हू
तेरे इश्क के शहर में ,खुद की महफ़िल सजाने आया हू