वही करता और वही करवाता है ,
क्यू बंदे तू इतराता है ।
इक साँस भी नही है तेरे बस की ,
वही सुलाता और जगाता है
डूबा हुआ हूँ ना निकल पाऊँगा मैं कभी,
ख़ूबसूरत मुस्कुराहट और आँखों से तेरी.
from : Zindagi Shayari