छुप -छुप कर प्यार नहीं होता !
साँसों से साँसों का यूँ तो
खुल कर व्यापार नहीं होता ,
यह भी सोलह आना सच है -
छुप- छुप कर प्यार नहीं होता !
कंटक में पुष्प विहँसते हैं
संकट में वीर सँवरते हैं
खुशियों में अश्रु थिरकते हैं -
तिल भर प्रतिकार नहीं होता !
यह भी सोलह आना सच है -
छुप- छुप कर प्यार नहीं होता !
है अक्स वही मन दर्पण में
शामिल दिल की हर धड़कन में
दिल रैन उसी की तड़पन में -
मिलकर इज़हार नहीं होता !
यह भी सोलह आना सच है -
छुप- छुप कर प्यार नहीं होता !
हर दिल में प्यार मोहब्बत हो
हर शह की यही इबादत हो
लहरों की मात्र इनायत हो -
पर दरिया पार नहीं होता !
यह भी सोलह आना सच है -
छुप- छुप कर प्यार नहीं होता !!
Love poem of the day
from : Love Poems in Hindi