चलो चलते हैं वहां जहां मुकद्दरों का हिसाब होगा
कौन था कितने के काबिल वहां सारा इंसाफ होगा
तू भी वंदा, मैं भी नमाजी दिल किसका कितना साफ होगा
कर्मों के बिनाफ पे ए-काफिर वहां सारा इंसाफ होगा
दिखता सब है रब को मेरे वहां न कोई पर्दा होगा
छल फरेब से ऊपर उठके वहां सारा इंसाफ होगा
© pallavi gupta
from : Akelapan Shayari