क्यों डरें कि ज़िंदगी में क्या होगा !
हर वक़्त क्यों सोचें कि बुरा होगा !
बढ़ते रहें मंज़िलों की ओर हम !
कुछ ना भी मिला तो क्या तज़ुर्बा तो नया होगा !!
from : Anmol Vachan