आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं,कुछ दर्द मिटाने बाकी हैं कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं।
from : Sad Shayari