थोड़ी सी सच्चाई कह देने से
आजकल अपने ही रूठ जाते हैं..
आदत बदल सी गई है वक़्त काटने की,
हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की।
जो लोग अपनी गलती नहीं मानते,
वह आपको अपना कैसे मानेंगे..
जुबान मेरी कडवी मगर दिल साफ है,
कौन कब बदला है सबका हिसाब है।