जरा सी जिन्दगी में, व्यवधान बहुत हैं,
तमाशा देखने को यहाँ, इन्सान बहुत हैं !!
कोई भी नहीं बताता, ठीक रास्ता यहाँ,
अजीब सें इस शहर में, 'नादान' बहुत हैं !!
न करना भरोसा भूल कर भी किसी पे,
यहाँ हर गली में साहब बेईमान बहुत हैं !!
दौड़तेे फिरते हैं, न जाने क्या पाने को,
लगे रहते है जुगाड़ में, परेशान बहुत हैं !!
खुद ही बनाते हैं हम, पेचीदा जिंदगी को,
वर्ना तो जीने के नुस्खे, आसान बहुत हैं !!