Suprabhat Shayari2022-02-12 18:04:11 Kaise hifazat karta मैं चिरागों की भला कैसे हिफाज़त करतावक़्त सूरज को भी, हर रोज़ बुझा देता है Kehne ko zindagi कहने को ज़िन्दगी है मगर इसमें ज़िन्दगी वाली बात नहीभीड़ में शामिल हर कोई है, पर कोई किसी के साथ नही Chalo accha huaa चलो अच्छा हुआ भ्रम टूट गया मेरा..बहुत उम्मीदें लगा ली थी मैंने मोहब्बत से उनकी Bahut haseen बहुत हसीन सही सोहबतें गुलों की मगर,वो ज़िंदगी है जो काँटों के दरमियाँ गुज़रे। Man ka koi kona मन का कोई कोना अन्धेरे में ना रहेएक चिराग़ भीतर भी जलाओ यारों «1234 »