आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी
कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं,
कुछ दर्द मिटाने बाकी हैं
कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं।
हर ऱोज हर वक़्त हर पल बस तेरा ही तेरा ख्याल
ना जाने मेरे कौनसे कर्ज की किश्त हो तुम !!
kisi Ki Tareef Karne Me Jegar Chahiae Burai To Bin A Hunar Ke Kisi Ki Bhi Ki Ja Sakti Hai !!
बहुत रोयी होगी वो खाली कागज देख कर
खत में उसने पुछा था ज़िंदगी कैसी बीत रही है