आख़िर तुम भी उस आइने की तरह ही निकले !
जो भी सामने आया तुम उसी के हो गए !!
पगली तेर लिये इस दिल ने कभी बुरा नही चाहा !
ये और बात है मुझे साबित करना नहीं आया !!
कुछ पाबंदी भी लाज़मी है दिल्लगी के लिए !
किसी से इश्क़ अगर हो तो बेपनाह न हो !!
बहुत खूबसूरत निशानी एक रखी है मेरे पास तुम्हारी
मेरी किताब मैं बनाया दिल मेरा
और उसपर चलाया हुआ तीर तुम्हारा !!