मुझे इतनी फुर्सत कहा की मई तकदीर का लिखा देखू
बस मई अपनी माँ की मुश्कुराहत देख कर
समझ जाता हूँ मेरी तकदीर बुलन्द है
तेरी हर बात चलकर यूँ भी मेरे जी से आती है
कि जैसे याद की खुशबू किसी हिचकी से आती है
मुझे आती है तेरे बदन से ऐ माँ वही खुशबू
जो एक पूजा के दीपक में पिगलते घी से आती है
माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है
माँ जीवन के फूलों में ख़ुशबू का वास है
माँ रोते हुए बच्चे का ख़ुशनुमा पलना है
माँ मरुथल में नदी या मीठा-सा झरना है
माँ लोरी है, गीत है, प्यारी-सी थाप है
माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है
माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है
माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है
माँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है
माँ मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है
माँ क़लम है, दवात है, स्याही है,
माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है
माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है
माँ फूँक से ठंडा किया हुआ कलेवा है
माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है
माँ ज़िंदगी के मुहल्ले में आत्मा का भवन है
माँ चूड़ी वाले हाथों के मजबूत कंधों का नाम है
माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है
माँ चिंता है, याद है, हिचकी है
माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है
माँ चुल्हा-धुआँ-रोटी और हाथों का छाला है
माँ ज़िंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है
माँ पृथ्वी है, जगत् है, धुरी है
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है
माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है
माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता
माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता
मैं कला की ये पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ,
दुनिया की सभी माताओं को प्रणाम करता हूँ