Hindi Shayari हिंदी शायरी लिखा हुआ
Dhaga Hi Samajh
धागा ही समझ, तू अपनी "मन्नत" का मुझे
तेरी दुआओ के मुकम्मल होने का दस्तूर हूँ मैं
Ajeeb Se Hain
इस शहर के अंदाज़ भी अजीब से हैं,
गूँगों से कहा जाता है बहरों को पुकारो.
Aik Tum
एक तुम भी ना कितनी जल्दी सो जाते हो…
लगता है इश्क को तुम्हारा पता देना पड़ेगा.!!
Marham Lga Sko
मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मो पे लगा देना-हकीम बहुत है बाजार में अमीरों के इलाज के खातिर
Etrane Lage Hain Log
रूबरू होने की तो छोड़िए लोग गुफ्तगू से भी कतराते है
गुरूर ओढे है रिश्ते अपनी हैसियत पे इतराने लगे है