Intezaar Shayari
Shouk ab nahi raha
शोक नही रहा अब हमे इश्क मोहबब्त का...
वरना आज भी गाँव की गौरी पनघट पे और
शहर की छोरी ट्यूशन पे हमारा इन्तजार करती है
Jo sfar ki suraat karte
जो सफर की शुरुआत करते हैं,
वे मंजिल भी पा लेते हैं बस,
एक बार चलने का हौसला रखना जरुरी है.
क्योंकि,अच्छे इंसानों का तो रास्ते भी इन्तजार करते है
Intezaar karenge un palo ka

इन्तज़ार करेंगे उन पलो का हम भी बेचैनी से जब तेरे फ़ैसले तुझ तडपायेगे बहुत