ज़माने भर में मिलते हे आशिक कई मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हे कई मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता
धर्म ना हिन्दू का हैं ना ही मुस्लिम का धर्म तो बस इंसानियत का हैं ये भूख से बिलकते बच्चो से पूछों सच क्या हैं झूठ क्या हैं किसी मंदिर या मज्जित से नहीं बेगुनाह बच्चे की मौत पर किसी माँ से पूछो देश का सपूत बनाना हैं तो कर्तव्य को जानो अधिकार की बात न करों देश के लिए जीवन न्यौछारों