जाने क्यों, वो मेरी उमीन्द की डोर टूटने नही देता, बस और दो कदम साथ चलने का वास्ता देकर, वो मुझे रुकने नही देता बात करता है, वो हंस-हंस कर, खुश रहने की वास्ता देकर अपनी खुशी का, वो मुझे रोने नही देता. बढाता है होंसला मेरा, की हर पल मेरे साथ है, वास्ता देकर अपने साथ का, वो कभी मुझे अकेला होने नही देता
तेरा आना... मुझे रिझाना.. मेरा शर्माना... नजर झुकना धीरे से फिर.. नजर उठाना. तुमसे कुछ कहने की जाना कोशिश करना.. करते रहना होंठ हिले पर कुछ ना कहना.. फिर भी तेरा सब समझ जाना.. मेरी इस हालत पर आखिर.. तेरा कुछ भी ना कह पाना बस हौले हौले मुस्कुराना... कह दो ये सबकुछ है लेकिन.. ये "राज" ये प्यार नहीं है