Poetry Tadka

Dhoka Shayari

Dhokha Aur Vishwas

आपकी आँखे अक्सर वही लोग खोलते है- जिनपर आप आँखे बंद करके विश्वाश करते है dhokha aur vishwas

Dhoka Deti Hai

धोखा देती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक,

हर काँच के टुकड़े को हीरा नहीं कहते

Janta Tha Wo Dhoka

जानता था की वो धोखा देगी एक दिन पर चुप रहा क्यूंकि उसके धोखे में जी सकता हूँ पर उसके बिना नहीं 

Dhoka Bhi

धोखा भी बादाम की तरह है 

जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है

 

Dhokha Khane Lge Hai Log

इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग

दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग