तुझे सुलगा के सिगरेट में मैं तेरे कश लगाता हूँधुआं जब मेरे होंटों से निकल कर रक़्स करता हैमेरे चारों तरफ कमरे में तेरा अक्स बनता है
from : Smoking Shayari