Call Center के बाहर लम्बी लाईन लगी थी। नौकरी तो दस लोगों को मिलने वाली थी पर लम्बी कतार बता रही थी कि नौकरी की आशा में तीन सौ लोग लाईन में थे। शालिनी ने लोगो की बातचीत से ही अंदाजा लगा लिया था कि नौकरी का आवेदन करने वाले ज्यादा हैं। वह मन ही मन नर्वस हो रही थी
कि इतने आंख वालों के बीच उस अन्धी लड़की को Call Center में नौकरी कैसे मिलेगी तभी Peon ने उसका नाम पुकारा और वह अपनी बहन स्नेहा के साथ अन्दर जाने लगी लेकिन Peon ने स्नेहा को अन्दर जाने से रोक दिया। स्नेहा ने बताना चाहा कि उसकी बहन अंधी है मगर शालिनी ने उसके हाथ को दबाते हुए ईशारा करके रोक दिया और अकेले ही अन्दर जाने का मन बना लिया।
शालिनी इसी भ्रम में थी कि वह अंधी है तो क्या हुआ उसके पास शिक्षा की आंखे तो हैं मगर आज उसका भ्रम टूट गया। उसे Call Center की नौकरी के लिए अनुपयोगी माना गया। वह वापस बस में अपने शहर जा रही थी। उसके आंसू रूकने का नाम नही ले रहे थे। वह स्नेहा से कह रही थी कि-पिताजी ने अपना सारा पैसा मेरी पढ़ाई में लगा दिया। अब अगर मुझे नौकरी नही मिली तो दो वक्त की रोटी भी नसीब नही होगी।
उसकी ये सारी बातें उसी की सीट के पीछे बैठा राजू सुन रहा था। वह शालिनी के पडौस में रहता था और मन ही मन शालिनी को पसन्द करता था। मगर वह जानता था कि हीन भावना की शिकार शालिनी कभी उसकी जीवन संगिनी बनने को तैयार नहीं होगी। राजू को समझ में नही आ रहा था कि वह किस तरह शालिनी की मदद करे। सोचते-सोचते आखिर उसके दिमाग में एक खतरनाक विचार ने जन्म लिया।
उसने घर आकर शालिनी से मुलाकात की और उससे स्पष्ट शब्दों में कहा कि-मैं तुमसें प्यार करता हूँ। हालांकि मैं सुन्दर नही हूँ और शायद तुम्हारी आंखे होती तो तुम मुझे रिजेक्ट कर देतीं। शालिनी की आंखों में आंसू आ गए। उसने कहा-वो पागल होते है जो अपने चाहने वाले को रिजेक्ट कर देते है। पर राजू मैं तुमसे प्यार नही कर सकती। तुम अपने लिए कोई आंख वाली ढूंढ लो।राजू निराश होकर चला गया। कुछ ही दिनों में उसे किसी शहर में Insurance Company में नौकरी मिल गई और वह गांव छोड़कर चला गया।एक दिन गांव में कुछ NGO वाले आए।
उनकी नज़र शालिनी पर गई तो उन्होंने उसे आशा बंधाई कि उसकी आंखे ठीक हो सकती हैं। हालांकि शालिनी को विश्वास नहीं हो रहा था, लेकिन NGO के लोगो के आश्वासन देने पर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।अब शालिनी के पास आंखे थी। एक नही दो, जो कि उसकी सुन्दरता में चार चांद लगा रहे थे। इस बार उसने एक M. N. C. Call Center में Apply किया और उसे आठ लाख के Annual Package की अच्छी नौकरी मिल गई। सबकुछ ठीक था,
लेकिन अब उसे राजू की याद आ रही थी। उसने राजू को कई जगह तलाश किया। उसके घर पर भी पूछताछ की मगर राजू का कहीं पता नही चल रहा था।दूसरी ओर शालिनी की मां ने उसके लिए रिश्तों की तलाश शुरु कर दी थी पर शालिनी के दिल में तो राजू ही बसा था। शालिनी की तलाश ने अब एक मिशन का रूप ले लिया था।
वह सोचती रहती थी कि जो लडका एक अंधी लडकी को अपना बनाना चाहता हो उसका दिल कितना सुंदर होगा। वह राजू से मिलकर उसे सरप्राइज देना चाहती थी । वह राजू का हाथ पकड कर कहना चाहती थी कि राजू! चल शादी करतें हैं। पर इसके लिए राजू का मिलना भी तो जरुरी था। राजू की तलाश अब Google, Facebook, Twitter, WhatsApp से बदलकर प्राथना तक जा पंहुची थी।
एक दिन उसे उसी Blind School के एक कार्यक्रम में Chief Guest बनने का मौका मिला जिसमें कभी वह खुद पढा करती थी। वह स्नेहा को साथ लेकर स्कूल की सीढ़ीयां चढ़ रही थी तभी सीढ़ीयां उतर रहा एक Student स्नेहा से टकरा कर गिर गया। शालिनी दौड़कर उसे उठाने में मदद करने लगी जो कि वास्तव में वही राजू था, जिसने किसी दिन शालिनी से अपने प्रेम का इजहार किया था। जैसे ही स्नेहा की नज़र राजू पर पड़ी, उसके मुंह से निकला- राजू तुम?राजू ने भी स्नेहा की आवाज पहचान ली, उसने कहा- स्नेहा तुम? तुम यहां क्या कर रही हो।स्नेहां ने कहा- पहले ये बताईए कि आप यहां क्या कर रहे हैं?राजू ने कहा- एक एक्सीडेंट में मेरी दोनो आखें चली गई।
इसलिए ब्रेल लिपी (Braille Script) सीख रहा हूँ।शालिनी का तो दिमाग़ ही चकरा कर रह गया। वह मन ही मन सोचने लगी- “क्या यही राजू है। इतना काला, इतना बदसूरत और आंखे ना होने की वजह से डरावना भी तो लगता है।“राजू ने स्नेहा से शालिनी के बारे में पूछा तो शालिनी ने तुंरत उसे इशारा किया कि उसके बारे में ना बताए। स्नेहा ने राजू से कहा कि- शालिनी तो नही आ पाई।राजू ने थोडा उदास होकर पूछा,
अच्छा। पर शालिनी को तो Chief Guest के रुप में Inviteकिया गया था।शालिनी ने स्नेहा को कुछ इशारे में समझाया। स्नेहा उसकी बात समझ गइ और उसने कहा कि- हां! इनवाइट किया था पर उसके आंखो के अन्धेपन की वजह से नहीं आ सकती। इसलिए मैं स्कूल मैनेजमेंट को मना करने आई हूं।राजू की उदासी और गहरी हो गई। उसने स्नेहा से विदा ली और धीमें-धीमें स्कूल की सीढीयां उतरने लगा। उतरते हुए उसने अपना मोबाइल निकाल लिया था और उसमें कुछ नम्बर टटोलने लगा।
उसे अपने से दूर जाते देख शालिनी ने राहत की सांस ली और स्नेहा से कहा कि- हमने झूठ तो बोल दिया पर वह हमारा पडौसी है। यह झूठ ज्यादा दिन नही चलने वाला।शालिनी ने फैसला किया कि अब उसे चीफ गेस्ट नही बनना है वरना आज ही राजू को पूरा झूंठ पता चल जाएगा। शालिनी फिर से स्नेहा के साथ सीढियां उतरने लगी। उसने देखा कि राजू भी फोन पर गुस्से में किसी से बात करते हुए उतर रहा है।
शालिनी ने स्नेहा को समझाया कि- दबे कदमों से उतरना, नही तो राजू हमारे कदमों की आहट से भी पहचान लेगा।दोनों दबे कदमो से राजू के करीब से गुजरी मगर फोन पर चल रही बातचीत से शालिनी को झटका सा लगा। वह थोडा रूककर ध्यान से राजू की बातें सुनने लगी। राजू फोन पर NGO के लोगों को डांट रहा था कि शालिनी आज भी नही देख पा रही है। वह NGO वालों को ना जाने क्या क्या कहता जा रहा था।
आखिर में उसके आंखो से आंसू निकल पडे और NGO वालो को बद्दुआ देते हुए कहा- तुम लागों ने मेरी शालिनी की जिन्दगी खराब कर दी। काश! मेरे पास और आंखे होती तो मैं दोबारा उसे आंखे दान कर देता मगर इस बार तुम्हारे पास नही आता।सारी बातें सुनकर शालिनी की आंखो से आंसू बह निकले, वह राजू से जाकर लिपट गई और माफी मागने लगी। उसने जो-जो झूठ स्नेहा से बुलवाया था, वह सब भी बता दिया।
राजू ने हंसकर कहा- अरे पगली।मैं तो जानता था कि आंखे मिलने पर तू मुझे रिजेक्ट कर देगी। इसीलिए तो मै खुद ही तुझसे दूर चला आया। अब मुझे तेरी जरुरत नहीं है क्योंकि जब से आंखे तुझे दी है, तू मेरी आंखो में ही रहती है।शालिनी रोते हुए राजू के गले लग गई। उसने कहा- पर राजू मुझे तो तेरी जरुरत है। शायद मैं सुन्दरता के मायने ही भूल गई थी, मुझे माफ कर दो !!