मुझसे मिलने के वो करता था बहाने कितने !
अब गुज़ारेगा मेरे साथ ज़माने कितने !
मैं गिरा था तो बहुत लोग रुके थे लेकिन !
सोचता हूँ मुझे आए थे उठाने कितने !
जिस तरह मैंने तुझे अपना बना रखा है !
सोचते होंगे यही बात न जाने कितने !
तुम नया ज़ख़्म लगाओ तुम्हें इस से क्या है !
भरने वाले हैं अभी ज़ख़्म पुराने कितने !!